गीता दर्शन ( अध्याय 11) प्रवचन 7



 

गीता दर्शन ( अध्याय 11)

प्रवचन 7

चेतना की चार अवस्थाएं है।


पहली जहां मैं की भीड़ है।

वहां से हमे कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता।

जब तक ठीक हमारी आंख के सामने ना आ जाए।

हमे कुछ दिखाई नहीं पड़ता।


फिर एक मैं रह जाए।

हमारी दृष्टि बढ़ जाती है।

हम ऊंचे तल पर आ गए।

भीड़ से ऊपर उठ गए।

एक वृक्ष पर बैठे हुए हैं।

हमे दूर तक दिखाई पड़ने लगता है।

कोई चीज़ आती है, उसके पहले दिखाई पड़ने लगती है।


फिर तीसरा और ऊंचा तल है, जहां कि मुझे पता चल गया कि मैं नहीं हूं।

ये बड़ी ऊंचाई आ गई।

इस ऊंचाई से वो चीज़े दिखाई पड़ने लगती हैं जो बहुत दूर हैं। 

कभी होंगी।


फिर एक और ऊंचाई है,

जहां मैं हूं, ये भी नही बचा।

ये आखिरी ऊंचाई है।

इस से ऊपर जाने का कोई उपाय नहीं है।

यहां से सब दिखाई पड़ने लगता है।

ऐसी अवस्था के व्यक्ति को हमने सर्वज्ञ कहा है।

इसके लिए फिर कुछ भविष्य नहीं रह जाता।

इसके लिए सभी वर्तमान हो जाता है।


ये जो कृष्ण में अर्जुन को दिखाई पड़ा,

कृष्ण कहते हैं _ हे अर्जुन,

मैं इन योद्धाओं का अंत करने आया हूं।

इस समय मैं महाकाल हूं।

इसकी ही झलक तूने देख ली जो थोड़ी देर बाद होने वाला है।उसकी पूर्व झलक तुझे दिखाई पड़ गई है।

इस से तू खड़ा हो।

यश को प्राप्त कर।

शत्रुओं को जीत।

ये शूरवीर पहले से ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं।

तू ये चिंता भी मतकर कि 

तू इन्हे मारेगा।

तू ये ध्यान भी मत रख कि तू कारण है।

तू सिर्फ निमित है।


निमित और कारण में थोड़ा फर्क हमे समझ लेना चाहिए।

कारण का अर्थ होता है_

जिसके बिना घटना ना घट सकेगी।

निमित का अर्थ होता है_

जिसके बिना भी घटना घट सकेगी।

आप पानी गरम करते हैं,

गरम करना आग कारण है।

अगर आग ना हो तो फिर पानी गरम ना हो सकेगा।

कोई उपाय नहीं।

लेकिन जिस बर्तन में रखके आप गरम कर रहे हैं वो कारण नहीं है।

वो निमित है।

इस बर्तन के ना होने पर कोई दूसरा बर्तन होगा।

कोई तीसरा बर्तन होगा।

बर्तन ना हो तो कोई और उपाय भी हो सकता है।

कोई बिजली का यंत्र होगा।

आप ना होंगे तो कोई दूसरी स्त्री, कोई पुरुष होगा।


आग चाहिए, वो कारण है।

बाकी सब निमित है।

निमित बदले जा सकते हैं।

कारण नहीं बदला जा सकता।

कृष्ण ये कह रहें हैं कि

कारण तो मैं हूं।

तू निमित है।

अगर तू नही मारेगा,

कोई और मारेगा।

इनकी मृत्यु होने वाली है।


मैं इन्हे मार ही चुका हूं_

 अर्जुन ! अब तु तो मुर्दों को मारने के काम में लगाया जा रहा है।

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